शाम सुरज को ढलना सीखाता है,
शमा परवाने को जलाना सीखाता है,
गीरने वाले को होती तो है तकलीफ,
पर ठोकर ही इंसान को चलना सीखाती है।
शायरी का अर्थ
कोई भी इंसान कुछ भी सीख कर नही आता उसको सीखने ने के लीये उसके पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है यातो कोई व्यक्ति होता है। ईन सबसे ज्यादा इंसान अपनी गलतियों से सीखता है जभी कोई गलती होती है तो उस पर वह वीचार कर्ता है और फिर कभी भी गलती नाहो उसका ख्याल रखता है।